Friday 11 October 2013

आचार्य चाणक्य जी ने बताया कि राजा के मन्त्री किस प्रकार के होने चाहिए .

1-      सर्वोत्तम सहायक मंत्री सुख-दुःख में बराबर का साथ देने वाला होता है |


 भावार्थ -सुख-दुःख दोनों में अभिन्न ह्रदय साथी होकर रहने वाला मंत्री आदि सहायक कहलाता है |सुख-दुःख एक-सी अनुभविता दुःख का एक-सा प्रतिकर्मा ही सहायक कहा गया है |सुख-दुःख में तटस्थ रहने वाला सहायक हितैषी नहीं माना जा सकता है |सहायक सैम शक्ति, हीन शक्ति तथा प्रवल शक्ति ,तीन प्रकार के हो सकते है यह भेद उनकी परिस्थिति पर निर्भर करता है |तीनो प्रकार के सहायक समान भाव से अपनाने योग्य होते हैं |अतः राजा को एसे मंत्री की आवश्यकता होती है जो उसका बराबर का साथ दे सके | 

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