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सर्वोत्तम सहायक
मंत्री सुख-दुःख में बराबर का साथ देने वाला होता है |
भावार्थ -सुख-दुःख दोनों
में अभिन्न ह्रदय साथी होकर रहने वाला मंत्री आदि सहायक कहलाता है |सुख-दुःख एक-सी
अनुभविता दुःख का एक-सा प्रतिकर्मा ही सहायक कहा गया है |सुख-दुःख में तटस्थ रहने
वाला सहायक हितैषी नहीं माना जा सकता है |सहायक सैम शक्ति, हीन शक्ति तथा प्रवल शक्ति ,तीन प्रकार के हो सकते है यह
भेद उनकी परिस्थिति पर निर्भर करता है |तीनो प्रकार के सहायक समान भाव से अपनाने
योग्य होते हैं |अतः राजा को एसे मंत्री की आवश्यकता होती है जो उसका बराबर का साथ
दे सके |
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